शिवा की शरण में…

 

"शिवा की शरण में…"


॥ हे शिवा... हे शिवा... शिवा... शिवा... ॥

मैं तेरी शरण में आ गई हूँ,

अब जीवन की डोर तेरे हाथों में है।


हे शंकरा,

जब से तेरा आश्रय मिला है,

ना कोई डर,

ना मोह की छाया,

ना माया का बंधन,

ना अभिमान का अभास।


मेरा मन अब बस तुझमें ही रम गया है,

तेरे नाम की ही धुन में झूम रहा है।


शंभू... शंभू... शंभू... शंभू...

हर सांस में तेरा नाम बस रहा है।


हे आदि भक्ति! योगेश्वर! दिगंबर! आदि नाथ!

मैं बावरी,

तेरे प्रेम में डूबी,

मस्त मगन हो

शंकर... शंकर... शंकर... शंकर...

गाती जा रही हूँ।


हर हर महादेव!

ॐ नमः शिवाय!

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